07 August, 2018

चुगलखोर

गंगा किनारे घर और घर में राम मंदिर। गंगा स्नान करना, गंगाजल लाना, भगवान जी को नहलाना, श्रृंगार के बाद घंटा बजाकर आरती करना किशोरावस्था में आंनद की दिनचर्या में शामिल था।

वह अंसारी था। जैसे दूसरे मित्र आंनद के घर आते वह भी आता। उसे पता था कि मूर्ति पूजा नहीं करनी चाहिए और  आंनद को भी पता था कि मुसलमान अछूत होते हैं! फिर भी दोनों समाज द्वारा मिले ज्ञान को बेवकूफी मानते। 

उस दिन अंसारी सुबह ही घर अा गया। आंनद आरती कर रहा था। वह आंनद के स्वर में स्वर मिला कर घंटा बजाने लगा! दोनो ने मिलकर कुछ देर तक सुंदर कांड का पाठ भी किया। 

आंनद की मां ने पूछा..यह कौन है?
इससे पहले की अंसारी जवाब देता आंनद ने झट से कहा.. श्रीवास्तव, श्रीवास्तव है मां!  आंनद की ओर देख अंसारी चुप लगा गया। मां ने आदेश दिया..'अपने दोस्त को लेकर पीढ़े पर बैठो। खाना खाकर ही कहीं जाना है।'  

फिर यह अक्सर होने लगा। अंसारी, आंनद के घर खाने पीने लगा।  वह तो बुरा हो सेठ जी का जिसने आंनद की मां से चुगली कर दी...मां! वह श्रीवास्तव नहीं, मुसलमान है! 

चुगलखोर चुगली न करता तो न मां का धर्म भ्रष्ट होता, न आंनद की पिटाई होती और न अंसारी का घर आना ही बन्द होता।