tag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post2239498416480224158..comments2023-09-01T15:46:17.190+05:30Comments on आनंद की यादें: यादें-25 (कंपनी बाग..देश की सरकारें..और नन्हां जासूस)देवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-70422329952055990832010-12-24T12:17:34.746+05:302010-12-24T12:17:34.746+05:30कोई दुर्घटना बच्चों को दहला सकती है, जख्म उन्हें र...कोई दुर्घटना बच्चों को दहला सकती है, जख्म उन्हें रूला सकते हैं मगर यह नहीं हो सकता कि हमेशा के लिए उनकी इच्छाओं का, स्वप्नों का, साहस का गला घोट दे। यदि उनके हाथ-पैर सलामत हैं तो दौड़ेंगे ही, दिल है तो धड़केगा ही, मन है तो मचलेगा ही। वक्त उन्हें अधिक दिनो तक भय रूपी पिंजड़े में कैद करके नहीं रख सकता। <br /><br />...bahut hi saarthakta bhari prastuti... padhkar ek chalchitra sa samne ubharne lagta hai .......<br />.कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-36402369325173875682010-12-19T21:32:35.563+05:302010-12-19T21:32:35.563+05:30वाह ! रिपोर्ताज शैली मे अच्छा कथानक ।वाह ! रिपोर्ताज शैली मे अच्छा कथानक ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-47785461617927402812010-12-19T15:14:25.381+05:302010-12-19T15:14:25.381+05:30सुंदर पोस्ट के लिये धन्यवाद|सुंदर पोस्ट के लिये धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-54521857899280066952010-12-15T15:46:13.990+05:302010-12-15T15:46:13.990+05:30एक तरफ खिलाने वाला , दूसरी तरफ मारने वाला .....वह ...एक तरफ खिलाने वाला , दूसरी तरफ मारने वाला .....वह वृध्द व वह मछुआरा कहीं एक ही के अलग अलग रूप तो नहीं ? ......<br />(लेकिन बाकी प्रसंग के हिसाब से यह व्याख्या सही नहीं है :)<br /><br />बालमन का बहुत सटीक चित्रण है . अंग्रेजी साहित्य में डिकेन्स इसके लिये जाने जाते हैं ,अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-90203386314326488302010-12-12T19:50:07.309+05:302010-12-12T19:50:07.309+05:30अंग्रेज लोग बहुत कुछ निर्माण कर गए हैं,सड़क,रेलवे,...अंग्रेज लोग बहुत कुछ निर्माण कर गए हैं,सड़क,रेलवे,इमारतें आदि मगर इसके साथ बहुत कुछ लूट भी गए हैं.prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-19830656463810843242010-12-12T10:57:12.015+05:302010-12-12T10:57:12.015+05:30कागज के गोले से गिरिजेश जी को आस पास के घरों में प...कागज के गोले से गिरिजेश जी को आस पास के घरों में प्रेम प्रसंग याद आये !<br />बुजुर्गवार ने आटा पलट दिया !<br /><br />नन्हा जासूस कामयाब रहा !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-26423973398480142582010-12-11T19:30:48.589+05:302010-12-11T19:30:48.589+05:30अम्रतसर का कम्पनी बाग--- पढ कर पुरानी यादें ताज़ा ह...अम्रतसर का कम्पनी बाग--- पढ कर पुरानी यादें ताज़ा हो गयी। रोचक संस्मरण चल रहा है। आगे इन्तजार रहेगा। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-54436407611645774552010-12-11T07:51:16.180+05:302010-12-11T07:51:16.180+05:30@ एक सुबह जब मुन्ना ने अपने कमरे में कागज की गेंद ...@ एक सुबह जब मुन्ना ने अपने कमरे में कागज की गेंद पाई तो उसे आश्चर्य से खोलकर देखने लगा। उसमें सिर्फ इतना ही लिखा था, “मिलो…अड्डा न0-2 शाम चार बजे।“<br /><br />यह तकनीक आस पास के घरों में पनपते प्रेम सम्बन्धों में भी आजमायी जाती थी। अब तो मोबाइल एस एम एस... <br /><br />@एक मछली आती है, उनके द्वारा फेंकी गई गोली खाती है, ठहरे पानी से कुछ बुल्ले उठते हैं, कुछ लहरियाँ बनती हैं फिर कुछ देर बाद दूसरी गोली....और यह क्रम बदस्तूर जारी रहता है। तालाब के पूर्वी घाट पर जो एकदम सूनसान था, एक मछुआरा पानी में बंसी डाले बैठा हुआ है। एक मछली आती है, कांटे में फंसती है, वह झटके से बंसी खींचता है। कांटे से बंधी मछली तड़फड़ाती बाहर चली आती है। वह कांटे से मछली को अलग करता है फिर बंसी पानी में डालकर पहले की तरह बैठ जाता है।<br /><br />क्या पर्यवेक्षण है! वाह!! <br /><br />पुन्य - पुण्यगिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-24779980806755902282010-12-10T23:44:42.652+05:302010-12-10T23:44:42.652+05:30बाग तो आज भी युरोप के हर शहर मे भरपुर मिलते हे, ले...बाग तो आज भी युरोप के हर शहर मे भरपुर मिलते हे, लेकिन भारत मे जो अग्रेज बना गये उन्हे बचा पाना भी कठिन हे,हरियाली की जगह गंदगी ही दिखाई देती की, कसूर वार कोन?<br />इस सुंदर पोस्ट के लिये धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-79032369942201059222010-12-10T22:15:06.598+05:302010-12-10T22:15:06.598+05:30आनन्द का भोला मन ... बेचारे के धर्म के रास्ते में ...आनन्द का भोला मन ... बेचारे के धर्म के रास्ते में आ गया.<br />यह बिम्ब तो शायद हर जगह फिट बैठता हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-28964804806837404562010-12-10T18:11:58.234+05:302010-12-10T18:11:58.234+05:30आनंद ने बिचारे का सारा धर्म पलक झपकते रसातल कर दिय...आनंद ने बिचारे का सारा धर्म पलक झपकते रसातल कर दिया ....<br />एक तरह से उनको पाप मिल रहा था क्योकि मछ्लियो को आंटे की गोली खिला खिला कर वे आंटे की गोली के प्रति मछलियों को कंडीशन कर रहे थे और सहजता से दूसरी छोर पर फंस रही थीं .....आनन्द ने उन्हें इस पाप से बचा लिया ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-63358429285526015082010-12-10T15:35:34.344+05:302010-12-10T15:35:34.344+05:30“वह ऐसे बाबू जी कि आप द्वारा खिलाया गया चारा उसके ...“वह ऐसे बाबू जी कि आप द्वारा खिलाया गया चारा उसके शिकार को ही मोटा-ताजा बना रहा है।“<br /><br />kitna sach likh diya,,,,,baato baato me...:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7126893934562377540.post-32483056057119952882010-12-10T14:14:07.473+05:302010-12-10T14:14:07.473+05:30हर नगर में कम्पनी बाग दिख जाते हैं, एक सराहनीय प्र...हर नगर में कम्पनी बाग दिख जाते हैं, एक सराहनीय प्रयास कम्पनी के द्वारा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com